बेटियों का संपत्ति में है बराबरी का हक! लेकिन वसीयत होने पर जानिए क्या कहता है कानून

देश में इन दिनों कोर्ट में सबसे ज्यादा मामले प्रॉपर्टी विवाद को लेकर पेंडिग है। तो वही प्रॉपर्टी विवाद पर ऐसे नियम के बारे में बता रहे है। जिसके बारे में जानना बहुत ही जरुरी है। जी हां अगर पिता ने कोई वसीयत नहीं बनाई तो बेटी को भी प्रॉपर्टी में बराबरी का हक मिलेगा। इस पर क्या कानून कहता है।

मौजूदा समय में देश में ज्यादातर मात-पिता अपने बच्चों के लिए संपत्ति जोड़ते हैं। कई बारल तो एक वसीयत भी बनाते हैं। जिससे उनके चले जानें के बाद संपत्ति का बंटवारा बिना झगड़े न क्योंकि कोर्ट कचहरी में यह मामले दशकों तक लग जाते है। हालांकि यदि कोई व्यक्ति वसीयत नहीं छोड़ता है, तो बच्चों के बीच प्रॉपर्टी का बराबर हिस्सा होता है।

कानून में बेटियों का बराबरी का अधिकार

दरअसल आप को बता दें कि साल 2005 में हिंदू उत्तराधिकार कानून में रिवीजन किए गए, जिसके अनुसार बेटियों को भी पिता की संपत्ति में बेटों के बराबर अधिकार मिला है। यहां पर कॉडिशन में  बेटी शादीशुदा हो या कुंवारी, उसे पिता की कमाई संपत्ति और प्रॉपर्टी में बराबर का हिस्सा मिलता है। लेकिन ये तभी है जब पिता ने वसीयत नहीं लिखी हो। अगर पिता के चले जानें से पहले वसीयत लिखकर गए हैं तो क्या बच्चों को प्रॉपर्टी मिलती है।

अगर नहीं है वसीयत तो?

जैसा की पहले हिंदू उत्तराधिकार कानून में रिवीजन में बताए गए नियम के अनुसार यदि  पिता ने वसीयत नहीं बनाई है तो उनकी संपत्ति हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत कानूनी वारिसों में बांटी जाती है। जिसमें यहां पर बेटा, बेटी, पत्नी को प्रॉपर्टी का बराबर हिस्सा मिलता है। ये क्लास 1 लीगल उत्तराधिकारी माने जाते हैं।

वसीयत है तो नहीं कर सकते दावा

देश में इस समय लोग वसीयत बनाते है, जिससे यहां पर यदि पिता ने वसीयत बनाकर अपनी संपत्ति किसी एक वारिस को सौंप दी हो, तो उस प्रॉपर्टी में अन्य वारिस दावा नहीं कर सकते। हालांकि इसका पैतृक संपत्ति में वसीयत का असर नहीं पड़ता। उस पर सभी कानूनी वारिसों का प्रॉपर्टी पर बराबर का अधिकार होता है।

हालांकि मौजूदा ससय में देखने को मिल रहा माता-पिता झगड़ों से बचने के लिए अपनी संपत्ति पहले ही बांट देते हैं। जिससे माता अपनी बेटियों को जमीन, जेवर या मकान गिफ्ट में दे देती है। ताकि उन्हें शादी के बाद भी आर्थिक सुरक्षा मिले।