अगर आपने एटीएम (ATM) से पैसा निकाला हो और ट्रांजेक्शन फेल हो गया हो, लेकिन आपके अकाउंट से पैसे कटने का मैसेज आया हो तो आप क्या करेंगे। इसके बाद आपने बैंक कर्मचारी से शिकायत की हो, लेकिन आपको कोई मदद न मिली हो। इसी तरह की गलती SBI ने की।
वहीं दिल्ली स्टेट कंज्यूमर फोरम की तरफ से एक पुराने ATM फ्रॉड केस में SBI को बहुत ज्यादा फटकार लगाई। फोरम की तरफ से एसबीआई बैंक को 20000 रुपये की रकम 10 फीसदी सालाना ब्याज वापस करने का आदेश दिया है। यह मामला 11 साल पुराना है और ग्राहक के बार-बार शिकायत करने पर आखिर में उपभोक्ता फोरम से न्याय मिला।
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मामला क्या है?
SBI के खाताधारक ने गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पर 4 जनवरी 2014 को 1000 रुपये एटीएम निकालें, लेकिन ट्रांजेक्शन फेल हो गया है। इसके बाद इंडियन ओवरसीज बैंक के ATM से पैसे निकाले हैं और दिल्ली चले गए।
पर ट्रेन में बैठने के बाद उनके पास तीन SMS आए, जो कि 1,000 रुपये, 20,000 रुपये और 1,000 रुपये को लेकर आए थे। उन्होंने इस तरह के कोई ट्रांजेक्शन नहीं किए। जो ट्रांजेक्शन किया था वो फेल हो गया था।
बैंक के मदद न करने पर कानूनी रास्ता अपनाया
दिल्ली से वापस आने के बाद शख्स ने SBI में शिकायत की और ATM की CCTV फुटेज भी मांगी। बैंक की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया। इसके बाद उसने ऑनलाइन शिकायत की, इसके बाद RBI बैंकिंग लोकपाल से दो बार शिकायत की। पहली शिकायत खो गई और दूसरी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। फिर शख्स ने दिल्ली जिला उपभोक्ता फोरम में केस कर दिया। इसने बैंक पर सेवा में लापरवाही और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया और पूरा पैसा वापस करने के लिए कहा।
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क्या कहा उपभोक्ता फोरम ने
दिल्ली जिला उपभोक्ता फोरम ने 25 अक्टूबर 2017 को SBI को आदेश दे दिया कि ग्राहक को 20,000 रुपये लौटा दें, जो फ्रॉड से निकाल लिए गए थे। वहीं 4 जनवरी 2014 से पैसा मिलने तक 10 फीसदी ब्याज देने के लिए कहा। मानसिक प्रताड़ना को लेकर 10000 रुपये हर्जाना देने के लिए कहा। SBI की तरफ से दिल्ली स्टेट कंज्यूमर फोरम के फैसले को चुनौती दी। इसके बाद फोरम की तरफ से 7 मई 2025 को जिला फोरम के निर्णय को सही बताया और ग्राहक को जल्दी से पैसा देने के लिए कहा।
अगर ग्राहक सावधान रहे और समय पर कार्रवाई करें तो पैसे को वापस पाया जा सकता है। कोर्ट ने बैंक की लापरवाही पर ध्यान दिया और ग्राहक को सही मुआवजा दिलवाया।










