मुंबई की रहने वाली कविता दमानी ने जिस तरीके से टैक्स बचाया उसे जानकर आप सोच में पड़ जाएंगे। यही नहीं कविता दामनी ने कानूनी तरीके से टैक्स को बचाया। दरअसल बात यह है कि कविता दामिनी ने दो फ्लैट्स बेचे, जिसमें उनकी इनकम 6 करोड़ रुपये हुई। इतनी बड़ी इनकम होने वाबजूद उन्होंने एक भी रुपया नहीं दिया है। ये सोचने वाली बात है। इनकम टैक्स विभाग ने जब टैक्स लेने की सोची तो उनके हाथ कुछ नहीं लगा। इधर इनकम टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूलन (ITAT) ने कविता दामिनी को कानूनी रूप से सही बताया। अब कविता ने जिस तरीके से टैक्स बचाया है वो एक अलग ही मिसाल बन गई।

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कैसे कविता ने टैक्स बचाया?

कविता ने दो फ्लैट्स बेचकर 6 करोड़ की इनकम की और इसे सेक्शन 54 के अंतर्गत लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) से छूट मांगी, लेकिन इनकम टैक्स विभाग ने कविता को यह बोलकर मना कर दिया कि यह सौदा पति-पत्नी के बीच हुआ है। इनकम टैक्स विभाग ने कविता को क्लबिंग प्रोवजिन के बारे में बताया। इनकम टैक्स विभाग का कहना है कि दोनों पति-पत्नी ने मिलकर गिफ्ट वाला खेल खेला है, जिससे टैक्स देने से बचा जा सके।

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ट्राइब्यूलन (ITAT) ने क्या कहा

ट्राइब्यूनल ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की बात को सुनकर उन्हें किनारे करते हुए कहा कि आयकर अधिनियम की धारा 54 की को सारी शर्तें हैं उन्हें कविता ने पूरा कर दिया है। ऐसे में उन्हें टैक्स में छूट मिलेगी। इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (ITAT) का कहना है कि कविता ने गिफ्ट डीड, बिक्री का तरीका, पैसा किस जगह जमा हुआ या नए फ्लैट को खरीदना हो आदि सभी शर्तों को पूरा किया है।

इधर इनकम टैक्स विभाग का कहना है कि कविता ने टैक्स बचाने के एक खेल खेला है। पर ITAT ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कविता के नाम फ्लैट रजिस्टर्ड गिफ्ट डीड द्वारा किया गया है। इसके आलावा किराया की रकम उसी के अकाउंट में आ रही थी। जो फ्लैट बेचकर कमाई हुई उसे भी बैंक अकाउंट में जमा कर दिया गया था। यही नहीं पति से फ्लैट खरीदने पर TDS कटने के साथ स्टांप ड्यूटी भी दी गई।

इनकम टैक्स सेक्शन 54 क्या कहता है?

इनकम टैक्स सेक्शन 54 के मुताबिक अगर कोई शख्स अपनी लॉन्ग टर्म रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी को बेच देता है और इससे नई रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीद लेता है (बिक्री के एक साल पहले या दो साल बाद तक), तो उसे कैपिटल गेन टैक्स से छूट मिल सकती है। आप नई रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी किसी रिश्तेदार से भी खरीद सकते हैं। हालांकि कानूनी दस्तावेज जरूरी होने चाहिए।

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कैसे कानून का इस्तेमाल हुआ?

इनकम टैक्स विभाग का कहना है कि कविता और पति के बीच कोई असल लेन-देन नहीं हुआ, बस पैसों को एक दूसरे के बीच दिखावे के लिए घुमाया गया है। इस बारे में ITAT ने कहा कि-

  1. कविता ने बिक्री की रकम वास्तव में दी थी।
  2. रकम किसी निजी कंपनी से नहीं बल्कि पर्सनल खाते से दी गई।
  3. कैपिटल गेंस अकाउंट स्कीम (CGAS) के नियमों का पालन किया गया।
  4. TOLA एक्ट के अंतर्गत पैसा तय समय से पहले चुका दिया गया, टैक्स कानून के मुताबिक ही ट्रांजैक्शन का समय था।