Bihar Voter List News, Bihar Chunav: बिहार विधानसभा चुनाव (bihar assembly election) की तैयारियां चुनाव आयोग ने भी अपने स्तर से शुरू कर दी हैं. विपक्षी राजनीतिक पार्टी और चुनाव आयोग के बीच इन दिनों काफी गहमा-गहमी मची हुई है, जिसकी वजह वोटर लिस्ट है. चुनव आयोग ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन शुरू किया है, जिसमें वोटर लिस्ट को नए सिरे से तैयार करने का काम किया जा रहा है.
ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि किस कानून के अंतर्गत इलेक्शन कमीशन ये काम कर रहा है. बीते दिन गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन को लेकर भी बड़ी बात कही है. आखिर यह पूरा मामला क्या है, नीचे डिटेल में जान सकते हैं. इससे आपका कंफ्यूजन खत्म हो जाएगा.
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वोटर लिस्ट का रिवीजन किस कानून में?
मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण करने का अधिकार कहां से प्राप्त हैं, आप आराम से जान लें. दरअसल, चुनाव आयोग को यह पावर Representation of the People Act, 1950 की धारा 21(3) के अंतर्गत मिली हुई है. इस सेक्शन के अनुसार, चुनाव आयोग वोटर लिस्ट को “वैसी किसी भी प्रक्रिया से संशोधित करने का काम कर सकता है.
जैसे आयोग को उचित लेग. मतलब साफ है कि चुनाव आयोग को वोटर लिस्ट में पारदर्शिता नजर नहीं आती तो सुधार के लिए अपने स्तर से किसी भी तरह का कदम उठा सकता है. यह कानून भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 में भी शामिल है. जो ECI को चुनाव प्रक्रिया संभालने की जिम्मेदारी देता है.
स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन क्या है
जानकारी के लिएबता दें कि स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी आईएसआर में घर-घर जाकर वोटर की डिटेल्स चेक की जा रही हैं. साल 2003 के बाद वोटर लिस्ट में जिनका नाम जुड़ा, उनसे जन्म तारीख और जगह के डॉक्युमेंट्स भी प्रोवाइट करने के लिए बोला जा रहा है.
चुनाव आयोग के अनुसार, यह प्रक्रिया वोटर लिस्ट को साफ-सुथरा बनाने के लिए है ताकि सिर्फ वही लोग वोट दे सकें जो इसके हकदार हैं. ये तरीका Intensive Revision और Summary Revision दोनों का मिला जुला रूप है. पुरानी लिस्ट से मिलान के सात नई जानकारी भी मांगी की जा रही है.










