Business Idea: आज हम इसबगोल की खेती के बारे में जानकारी दे रहे हैं। सबसे पहले आपको बता दें कि यह एक औषधीय पौधा है, जो बाजरे की फसल जैसा दिखता है, लेकिन इसमें गेहूं जैसी बालियां होती हैं। झाड़ी जैसी दिखने वाली इस औषधीय फसल में अच्छी मात्रा में पानी सोखने की क्षमता होती है।

इसबगोल के इस्तेमाल से कई बीमारियों

इसबगोल के इस्तेमाल से कई बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। साथ ही, ज्यादातर किसान इसबगोल की पत्तियों का इस्तेमाल पशुओं के चारे (इसबगोल की खेती पशु चारे के लिए) के तौर पर करते हैं।

यही वजह है कि इसबगोल

यही वजह है कि इसबगोल की खेती से किसानों के साथ-साथ पशुओं को भी फायदा होगा। साथ ही खेती और संसाधनों में खास बचत होगी। एक अनुमान के मुताबिक, इसबगोल की खेती की लागत 10,800 रुपये प्रति हेक्टेयर है। इसकी विभिन्न उपज को बाजार में बेचकर आसानी से 1,76,600 रुपये प्रति हेक्टेयर की कमाई की जा सकती है।

कहां है इसे बेचने का मौका

कहां है इसे बेचने का मौका- एपीडा के चेयरमैन डॉ. अंगमुथु का कहना है कि इसबगोल (इसबगोल की खेती भारत में) अपने आप में एक खास उत्पाद है। जो अपने स्वास्थ्य लाभों के लिए काफी लोकप्रिय है। इसबगोल की अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और चीन जैसे विकसित देशों में काफी मांग है। एपीडा ने साउथ एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर और डीबीटी-एसएबीसी बायोटेक किसान, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, आईसीएआर-डीएमएपीआर, कृषि विभाग और राजस्थान सरकार के आरएसएएमबी के साथ मिलकर इसबगोल की बेहतर कृषि पद्धति, प्रसंस्करण और निर्यात को कैसे बढ़ाया जाए, इस पर चर्चा की।

एपीडा के चेयरमैन का कहना है

एपीडा के चेयरमैन का कहना है कि भारत में इसका उत्पादन मुख्य रूप से गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में करीब 50 हजार हेक्टेयर में हो रहा है। मध्य प्रदेश में नीमच, रतलाम, मंदसौर, उज्जैन और शाजापुर जिले प्रमुख हैं।

भारत में करीब तीन तरह के इसबगोल

भारत में करीब तीन तरह के इसबगोल का उत्पादन होता है। इस कारोबार से जुड़े जानकारों का कहना है कि हरियाणा-2 किस्म की इसबगोल की फसल 9 दिन से 115 दिन में पककर तैयार हो जाती है, जिसके बाद इस फसल को काटकर इसके बीज अलग कर लिए जाते हैं और बाजार में बेच दिए जाते हैं.

अगर एक हेक्टेयर खेती के आधार पर अनुमान लगाएं तो एक हेक्टेयर में इसबगोल की फसल से करीब 15 क्विंटल बीज प्राप्त होते हैं. अगर बाजार में इसके ताजा भाव पता करें तो इस समय भाव करीब 12,500 रुपये प्रति क्विंटल है. इस तरह सिर्फ बीज की कीमत 1,90,000 रुपये पड़ती है. इसके अलावा सर्दियों में इसबगोल के भाव बढ़ जाते हैं, जिससे आमदनी बढ़ जाती है.

किसानों को इसबगोल की खेती

किसानों को इसबगोल की खेती के लिए सही समय की जानकारी होनी चाहिए. आपको बता दें कि इसबगोल की बुवाई अक्टूबर से नवंबर के बीच करनी चाहिए. इसके बीजों को पंक्तियों में बोया जाता है. पंक्तियों के बीच की दूरी 25 से 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए. बीज को करीब 3 ग्राम थीरम प्रति किलोग्राम के हिसाब से उपचारित करके मिट्टी में मिला दें. इसके बाद ही बुवाई करनी चाहिए। आगे की जानकारी आपको कृषि वैज्ञानिक केंद्र पर मिल जाएगी।