नई दिल्ली। दिवाली के त्यौहार के बाद ही छठ पूजा का महापर्व शुरू हो जाता है इसकी शुरुआत नहाए खाए यानी कि छठ के पहले दिन के पूजा से ही शुरू होती है और आखरी दिन सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन छठी मैया की पूजा की जाती है, यह ऐसा त्यौहार है जिसमें महिलाएं 36 घंटे तक व्रत रखती है और व्रत रखने का उनका अलग ही नियम है। यह व्रत निर्जला होता है। छठ के पूरे दिन पहले दिन के पूजा को नहाए खाए कहा जाता है।
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इस दिन सभी महिलाएं सुबह जल्दी उठकर नहा धोकर साफ कपड़े पहन कर खाना पकाती है। छठ पूजा के पहले दिन लौकी की सब्जी, चने की दाल और चावल बिना लहसुन प्याज के बनाया जाता हैय़ ऐसे में आज हम आपको इस नहाए खाए प्रसाद के रेसिपी के बारे में बताएंगे। नहाए खाए के दिन सारा खाना एकदम सात्विक तरीके से बिना लहसुन और प्याज के बनाया जाता है। ऐसे में लौकी की सब्जी को बिना लहसुन प्याज के स्वादिष्ट बनाने के लिए जीरा और अदरक के उपयोग कर सकती हैं। लौकी की सब्जी को पवित्र कहा गया है इसलिए इसे छठ व्रत के दौरान बनाया जाता है।
ऐसे बनाये चने दाल की सब्जी
चने के दाल में लहसून प्याज, ढेर सारी सब्जियों के साथ बनाया जाता है। ऐसे में आप चने की दाल को बनाने से पहले कुकर में सीटी देकर पकालें। जब पक जाए तो बाद में इसमें देसी घी और जीरा के साथ तड़का लगा लें और लाल मिर्च लौन्ग का भी इस्तेमाल तड़के में कर सकते हैं।
ऐसे बनाएं खिले खिले भात (चावल)
भात बनाना काफी सरल है लेकिन अगर आप इसमें स्वाद चाहती हैं तो जीरे का तड़का लगा सकती है अगर आपको परफैक्ट खिले खिले चावल पकाने नहीं आते तो जब भात में पानी डाल रही हो तो ऊपरी सतह पर उंगली से चेक करें कि यह चावल से 2 इंच ऊपर है कि नहीं, जब भात बन जाए तो चाकू डाल कर देखें कि भात पका है कि नहीं।
छठ से जुड़ी अन्यमहत्वपूर्ण बातें
छठ पूजा का पर्व बहुत महत्वपूर्ण और पावन होता है। इस व्रत के दौरान सभी महिलाएं व्रत रखती है और आखिरी दिन ही बालों में कंघी की जाती है और ना ही इस त्यौहार के दौरान बिस्तर पर सोया जाता है। ऐसे कई महत्वपूर्ण नियम है जिसे बिहार की महिलाएं छठ पूजा के दौरान करती है।