Maruti Suzuki ने सरकार संग लिया ये फैसला, अब नहीं होंगे रोड ऐक्सिडेंट, रुकेगा फर्जीवाड़ा

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Maruti Suzuki: हाल ही में एक पॉडकास्ट के दौरान देश के परिवहन मंत्री नितिन गडकरी जी ने रोड एक्सीडेंट में होने वाले मृत्यु का एक चौंकाने वाला आंकड़ा पेश किया था। भारत में प्रतिवर्ष तकरीबन 1.5 लाख लोगों की मृत्यु सड़क दुर्घटना में हो जाती है। वह चाहते हैं कि इसे जल्द से जल्द रोका जाए और इस पर काफी ज्यादा काम किया भी जा रहा है।

सड़क दुर्घटना आंकड़ों में उन लोगों की संख्या भी होती है जिनके पास फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस होता है। अब इसी चीज को रोकने के लिए मारुति सुजुकी ने दिल्ली सरकार के साथ मिलकर ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रेक को खोला हैं। यहां कैमरे की निगरानी में आपका ड्राइविंग टेस्ट होता है और फिर आपको लाइसेंस दिया जाता है। इस तरह का प्रयोग भारत में होने वाली सड़क दुर्घटना को रोक सकता है।

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सड़क दुर्घटना को लेकर Maruti Suzuki का खुलासा

मारुति सुजुकी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर राहुल भारती ने अपने इंटरव्यू में बताया है कि सड़क हादसे कारों की वजह से होती है लेकिन इसमें 89% उन लोगों को अपनी जानें गंवानी पड़ती है जिनकी कोई गलती नहीं होती है। ऐसी दुर्घटना में 40 फ़ीसदी राह चलते लोग और इसके बाद बाइक और साइकिल यात्री भी शामिल है।

इसके बाद वह आगे बताते हैं इस सड़क हादसों में 84% उन लोगों की मृत्यु की संभावना होती है जो हेलमेट या फिर सीटबेल्ट नहीं पहनते हैं। इसके बाद वह बताते हैं कि 80% से ज्यादा लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस बहुत ही आसानी से मिल जाता है। क्योंकि मैनुअल टेस्टिंग के दौरान ज्यादातर अधिकारी घूस लेकर टेस्ट को पास कर देते हैं। जिसका सीधा असर रोड दुर्घटना के तौर पर हमें देखने को मिलता है।

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इसीलिए उन्होंने दिल्ली सरकार के साथ मिलकर ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रेक को बनाया है। इस पर हुए एक सर्वे में पाया गया कि जहां मैनुअल टेस्टिंग के दौरान 100% में से 84% लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस मिल गई। वही इस ट्रैक द्वारा किए गए टेस्ट के दौरान सिर्फ 34 फ़ीसदी लोग ही पास हो पाए जो बताता है कि ड्राइविंग लाइसेंस देने की प्रक्रिया कितनी लचीली है। इस ट्रैक पर टेस्टिंग करने में महज 10 मिनट का समय लगता है।

यहां किसी भी प्रकार का मैनुअली सवाल नहीं पूछा जाता है। बल्कि ट्रैक पर लगे साइन बोर्ड को समझ उस प्रकार से आपको प्रतिक्रिया देनी होती है। वही ट्रैक पर जगह-जगह कैमरे लगाए गए हैं जिससे आपके टेस्ट का वीडियो बनाया जाता है। इस आसान से प्रक्रिया के जरिए लोगों को सही तरीके से लाइसेंस मुहैया करवाई जाएगी। इससे सड़क दुर्घटना होने की संभावना बहुत ही कम की जा सकती है।

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