Shyam Babu: कई बार जीवन बहुत कठिन लगने लगता है, ऐसा महसूस होता है कि अब जिंदगी में करने को कुछ बचा ही नहीं है। ऐसा लगता है कि असफलता, निराशा दुःख और दर्द भगवान ने सब कुछ मेरी ही किस्मत में लिख दिया है। लेकिन, हमारी मानें तो ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है। जीवन संघर्ष का दूसरा नाम है हार जाना या हार जाने का भय आपको और भी अधिक मजबूत बना देता है। हमने बचपन से ही सुना है “कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती” इसी कथन को सच कर दिखाया है गांव इब्राहिमाबाद के रहने वाले हैं श्याम बाबू जी ने। जीवन में कई बार हमारे सामने कुछ ऐसी परिस्थितियां आ जाती है तब हमें समझ नहीं आता है कि हम क्या करें और ना करें। लेकिन, ऐसे समय में खुद पर यकीन होना बेहद ही जरुरी होता है।
आज के समय में देश में बेरोजगारी के चलते सरकारी नौकरी भी अपने आप में किसी मैडल से कम नहीं है। सरकारी नौकरी करने का सपना बहुत से लोग देखते हैं, लेकिन सरकारी नौकरी पाना इतना आसान नहीं होता है। रेलवे ग्रुप डी और एनटीपीसी में 2 करोड़ से ज्यादा लोगों ने आवेदन किया था। हम आप आपको जिस व्यक्ति से रूबरू करवाने जा रहे हैं, उन्होंने ने सिपाही की जॉब करने के साथ भी अपनी तैयारी भी जारी रखी, क्योंकि उन्हें खुद पर यकीन था कि उनकी मेहनत एक ना एक दिन जरूर रंग लाएगी। आखिरकार 14 साल बाद ही सही उन्होंने कठोर परिश्रम के बाद अपने मुकाम को हासिल कर ही लिया।
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श्याम बाबू बलिया के छोटे से गांव इब्राहिमाबाद के रहने वाले हैं। श्याम बाबू की उम्र 36 साल है। इनकी पारिवारिक परिस्थिति अनुकूल नहीं थी। आर्थिक स्थिति सही ना होने की वजह से उन्हें अपनी जिंदगी में बहुत तकलीफों का सामना करना पड़ा था। इतना ही नहीं आर्थिक तंगी की वजह से बहनों की पढ़ाई भी नहीं हो पाई। श्यामबाबू ने दसवीं से ही सरकारी नौकरी के लिए फॉर्म भरना शुरू कर दिया था, ताकि वो अपने घर को एक अच्छी जिंदगी दे सकें। वो कहते हैं ना देर से ही सही लेकिन मेहनत कभी ना कभी रंग लाती ही है। ऐसे ही कुछ हुआ श्याम बाबू के साथ भी। उन्हें यूपी पुलिस में कांस्टेबल की जॉब मिल गई। सिपाही की नौकरी में रहते हुए ही श्यामबाबू ने प्राइवेट पढ़ाई जारी रखी। उन्हें 2010 से उनको यूपी पीसीएस परीक्षा को पास करने की धुन सवार हुई।
आपको बता दें कि श्याम बाबू ने 2016 की यूपी पीसीएस परीक्षा में 52वीं रैंक प्राप्त की थी, उन्हें इस प्रतियोगी परीक्षा में SDM रैंक मिली। 12वीं पास के पुलिस में कांस्टेबल की जॉब लग गई थी। 14 साल तक पुलिस में नौकरी के बाद श्यामबाबू को जब डिप्टी एसपी ने चाय के लिए भेजा तो तभी उनके फोन पर एक मैसेज आया, जिसमें वो पीसीएस फाइनल मेरिट में अपनी जगह बना चुके थे। जब श्यामबाबू ने DSP साहब को चाय देने के साथ ये खुशखबरी सुनाई तो DSP साहब उठे और श्यामबाबू को सेल्यूट किया। साथ ही श्यामबाबू को चाय पिलाई। बता दें कि पुलिस में जॉब करते हुए ही स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी। श्यामबाबू 6 बार के प्रयास के बाद आखिरकार SDM बन ही गए।