नई दिल्लीः ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार को एक ऐसा रेल हादसा हुआ जिसने हर किसी को झकजोर के रख दिया है। इस रेल हादसे में अब तक 280 यात्रियों को अपनी जान गंवानी पड़ी, जबकि 900 से ज्यादा घायल हुए हैं। घायलों को उपचार के लिए सीएचसी और पीएचसी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। माना जा रहा है कि अभी मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को 10-10 लाख जबकि घायलों को 2-2 लाख अनुग्रह राशि देने का ऐलान किया गया है। इस घटना ने देशभर को झकझोर के रख दिया है। बोगियों में कटर चलाकर फंसे क्षत-विक्षत शवों को निकालने का काम किया जा रहा है। घटना स्थल पर ही नहीं देशमें मामत पसरा हुआ है। ओडिशा में तो राज्य सरकार ने एक दिन का राजकीय शोक घोषित कर दिया है।
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इस घटना ने तो सबको रूलाया ही, क्या आप जानते हैं कि इससे पहले भी भारत में रेल हादसे हुए, जिन्होंने लोगों की रूह कंपाने काम किया है। आज हम आपको एक ऐसे रेल हादसे के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें सैकड़ों परिवारों की खुशियां उजड़ गई थी। यह घटना कोई ज्यादा पुरानी नहीं बल्कि 42 साल हुए है। घटना ऐसी की कुछ ट्रेन की बोगियों की नदी में समा गईं थी। डिटेल जानने के लिए आपको हमारा आर्टिकल ध्यान से पढ़ना होगा।
1981 को हुए रेल हादसे ने थाम दी थी सांसें
बात 6 जून 1981 की जब एक बड़े रेल हादसे ने देश ही नहीं दुनिया को हैरान कर दिया था। यह टेन दुर्घटना भारत के इतिहास की सबसे बड़ी घटनाओं में गिनी जाती है। एक ट्रेन जब बागमती नदी पर बंधे पुल पर पलट गई थी, जिसमें 300 मौत होने का दावा मीडिया रिपोर्ट्स में किया गया था। हादसा ऐसा था कि कुछ ट्रेन की कुछ बोगियां तो नदी में समा गई थी।
कई दिन तक राहत बचाव कार्य कार्य चलाकर शवों को बाहर निकाला गया था। दरअसल यात्रियों से खचाखच भरी एक ट्रेन बिहार के मानसी से सहरसा की ओर तरफ चल रही थी। सभी यात्री अपना खुशी से सफर कर रहे थे। उन्हें क्या पता था कि ट्रेन ही नहीं बल्कि जिंदगी का आखिरी सफर है।
अचानक ट्रेन में जोर का झटका लगता है, जिससे यात्रियों की नींद खुल जाती है। बैठे यात्री कुछ समझते इतने कई डिब्बे पटरी से उतर गए। कई डिब्बे पुल से नीचे गिर गए, जो नदी में समा गए। इस घटना से हर कोई हैरान रह गया था। विदेशी मीडिया भी इस घटना को कवर करने के लिए पहुंची थी।