नई दिल्ली –हिंदू पंचांग में किसी भी महिने लगने के 15 वे दिन या तिथी को अमावस्या पड़ता है। पौष के पहिने में पड़ने वाले अमावस्या को पौष अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन किए गए तर्पण श्राद्ध सीधा पितरों को मिलती है। जिससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है। इस बार पौस अमावस्या शुक्रवार के दिन पढ़ने वाली है शुक्रवार मां लक्ष्मी का दिन होता है।
ऐसे में आप इस अवसर का अच्छा फायदा उठा कर अपने जीवन में सुख समृद्धि और खुशहाली ला सकते हैं। अमावस्या के अवसर पर पितरों को शांति दिलाने के लिए, एक लोटे में जल भरकर लाल रंग का फूल और काले तिल डाले श्रद्धा भाव के साथ पितृों का ध्यान करते हुए सूर्य देव को जल अर्पित करें।
पौष अमावस्या के अवसर पर पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए, दोपहर में पीपल के पेड़ पर जल डालें और शाम के समय में पेड़ के नीचे दीपक जलाएं। पौष अमावस्या के मध्य रात्रि को मां लक्ष्मी की मूर्ति के सामने घी का दिया जलाएं, इस दिन जरूरतमंद लोगों को दूध चावल गर्म कपड़े का दान करना चाहिए।
पौष अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त जरूरतमंद लोगों को भरपेट भोजन करवाना चाहिए। पौष अमावस्या पर अपने घर के कार्यस्थल की साफ सफाई का ध्यान रखें। पास समस्या के दिन हुई को हाथ न लगाएं इस दिन देर तक सोना नहीं चाहिए। भोजन में नमक का ज्यादा सेवन ना करें।
पौष अमावस्या के दिन बाल में तेल ना लगाएं और कंघी भी ना करें, दिन में नई झाड़ू लेने से बचें। तामसिक भोजन नहीं करनी चाहिए।
- इस दिन घर में बनी पहली रोटी गाय को खिलाएं ऐसा करने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है।
- इस दिन पितरों का तर्पण पिंडदान श्राद्ध कर्म का विशेष महत्व बताया गया है।
- पौष अमावस्या के अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान करने के भी अच्छे महत्व बताए गए हैं।
- मछलियों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाएं, इस दिन किसी से लड़ाई झगड़ा करने से बचें।
- पितरों के लिए उनके मनपसंद भोजन बनाकर ब्राह्मणों को भोजन कराएं साथ ही एक हिस्सा भोजन का गाय और दूसरे हिस्से को कुत्ता और तीसरे को जरूर खिलाएं इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता ।