Saheed Diwas: करीब 91 साल पहले आज ही के दिन भारत देश के महान क्रांतिकारी वीर भगत सिंह (Bhagat Singh) को भारत मे मौजूद ब्रिटिश सरकार के द्वारा फांसी दी गई थी। इसी दिन देश के दो और सपूतों क्रमशः सुखदेव और शिवराम राजगुरु को भी फांसी पर चढ़ा दिया गया था।
इन तीनो पुण्य आत्माओं की शहादत को हमेशा याद रखने के लिए इस दिन को शाहिद दिवस के रूप में मनाया जाता है। भगत सिंह ( Bhagat Singh) ने महज 23 साल की युवा उम्र में भारत माता की आजादी के लिए आपने प्राणों को निछावर कर दिया। इस बलिदान को देखते हुए भारत के युवाओं के बीच देश भक्ति की भावना और देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा पैदा हो गया। इन तीनों महान आत्माओं के बलिदान से सभी को देश की आजादी के लिए कुछ भी कर गुजरने की प्रेरणा मिलती है।
भगत सिंह (Bhagat Singh) के द्वारा भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई थी। उनके जीवन से प्रेरणा लेकर कई लोगों ने क्रांतिकारी मार्ग अपनाया और देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उस समय कुछ लोग भगत सिंह (Bhagat Singh) से सहमत भी नही थे लेकिन कई लोगो के द्वारा भगत सिंह (Bhagat Singh) को खुला समर्थन दिया गया। आज हम आपको भगत सिंह (Bhagat Singh) से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बातों को बताएंगे।
Bhagat Singh से जुडी कुछ रोचक बातें
भगत सिंह (Bhagat Singh) गुलाम भारत में शादी नही करना चाहते थे। उनका मानना था कि गुलाम भारत मे शादी से उनकी दुल्हन की मृत्यु होगी। लेकिन माता-पिता के दबाव के कारण वो घर छोड़कर कानपुर चले गए और हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन को जॉइन कर लिया।
जलियांवाला बाग हत्याकांड से भगत सिंह बहुत आहत हुए और स्कूल छोड़कर घटनास्थल पर पहुँच गए थे।
लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह ने सुखदेव के साथ हाथ मिलाकर लाहौर में पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट को मारने की योजना बनाई थी। किंतु सही पहचान नही होने के कारण उनके द्वारा सहायक पुलिस अधीक्षक जॉन सॉन्डर्स पर गोली चला दी गई थी।
भगत सिंह (Bhagat Singh) का जन्म एक सिख परिवार में हुआ था। लेकिन जॉन सॉन्डर्स की हत्या को लेकर होने वाली गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने अपनी दाढ़ी और बाल को कटवा लिया था और वे लाहौर से कलकत्ता चले गए थे।
‘इंकलाब जिंदाबाद!’ का नारा भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त के द्वारा दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में बम फेंकने दे दौरान लगाया गया था।
भगत सिंह के द्वारा जेल में मौजूद विदेशी मूल के कैदियों को प्रदान की जाने वाली बेहतर इलाज की नीति का विरोध किया था और इसके लिए उनके द्वारा जेल में भूख हड़ताल किया गया था। 7 अक्टूबर सन 1930 को भगत सिंह (Bhagat Singh) को मौत की सजा सुनाई गई थी।
भगत सिंह की फांसी की सजा 24 मार्च 1931 को होनी थी लेकिन ब्रिटिश हुकूमत के द्वारा उन्हें 11 घंटे पहले ही 23 मार्च 1931 को शाम 7.30 बजे फांसी दे दिया गया था।
भगत सिंह (Bhagat Singh) के चेहरे पर फांसी के दौरान मुस्कान थी और वो ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लगातार नारे लगा रहे थे।