नई दिल्ली। देश में तेजी से प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है, इसके अलावा दिल्ली में हवा की गुणवत्ता बिल्कुल भी शुद्ध नहीं है ऐसे में मजबूरन ही लोगों को जहरीली हवा के बीच रहना पड़ रहा है, जिसके कारण जहरीली हवा का बुरा असर लोगों के फेफड़े मैं पढ़ रहा है। बढ़ते प्रदूषण और भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपने शरीर पर ठीक से ध्यान नहीं दे पा रहे हैं जिसके कारण उनकी तबीयत खराब हो रही है लेकिन अगर आप अपनी सेहत के बारे में सोच रहे हैं तो आप अपने दिनचर्या का थोड़ा सा समय निकाल कर आयुर्वेद की तरफ ध्यान दें, तो आप प्रदूषण से अपने आप को मुक्त कर सकते हैं।
काढ़ा से मिलेगा आराम डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के मेडिकल ऑफिसर डॉ संजय कुमार पांडे ने हवा के प्रदूषण से बचने के लिए लोगों को आयुर्वेदिक काढ़ा पीने की सलाह दी है। डॉ संजय कुमार ने यह कहा है कि यह काढ़ा लोगों के लिए बहुत अच्छा साबित हो सकता है। इस काढ़ा की खासियत यह है कि यह लंग्स को स्ट्रांग बनाता है, क्योंकि इसमें वंशलोचन है जो की कैल्शियम की बहुल्यता के साथ आती है।
साथ ही इसमें मुलेठी का प्रयोग किया गया है जो गले के संक्रमण को खत्म करता है और बलगम को जमा नहीं होने देता है, काढ़े में तुलसी का प्रयोग किया गया है जो एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करती है तुलसी के अलावा इसमें दालचीनी का प्रयोग किया गया है जो ब्लड थिनर के रूप में काम करती है ताकि सरकुलेशन ठीक से हो सके और इस काढ़े में गिलोय का भी प्रयोग किया गया है जो की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
ठंड के मौसम में जरूर करें काढ़े का प्रयोग, इलायची और पिपली का इस काढ़े में उपयोग किया गया है पीपली पित्त शामक है और कफ को काटने का काम करती है। इलायची कफ को गले एवं फेफड़े में जमा होने से रोकती है। बरसात के मौसम के बाद ठंड का मौसम आता है तो प्रदूषण वाले हवा में नमी होती है जोकि धीरे-धीरे हमारे फेफड़े में नाक और मुंह के माध्यम से प्रवेश करती है, इस काढ़े से ठंड के मौसम में कफ नहीं जमने देती है और फेफड़े को मजबूत बनाए रखने का काम करती है।
काढ़ा बनाने की विधि
ढाई सौ मिलीग्राम दालचीनी, ढाई सौ मिलीग्राम नींबू घास, इलायची, मुलेठी और वंशलोचन 500 500 मिलीग्राम, इसके अलावा पिपली, तुलसी और गिलोय एक-एक मिलीग्राम सभी को कूटकर अच्छे से पाउडर बना लेना है फिर दो कप पानी में एक चम्मच इस मसाले पाउडर को डालकर गर्म करके इसका रोजाना सेवन करना है। इसके अलावा लौंग और कपूर को यदि समय-समय पर सुंघा जाए तो इससे भी फेफड़े मजबूत होते हैं। वही थोड़ा-सा सेंधा नमक, फिटकरी और हल्दी को मिलाकर गुनगुने पानी में गरारा करने से भी संक्रमण गले तक नहीं पहुंचते हैं और फेफड़े को मजबूत बनाने का काम करते हैं।