नई दिल्ली : एक्ट्रेस आशा पारेख (Asha Parekh) 70 के दशक की मशहूर अदाकारा में गिनी जाती थी। उनका योगदान भारतीय सिनेमा के लिए अमूल्य रहा हैं। साल 1992 में आशा पारेख को पद्म श्री से भी सम्मानित किया जा चुका है। अब हाल ही में उन्हें हिंदी सिनेमा में योगदान के लिए दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड (Dada Saheb Falke Award) से सम्मानित किया जा चुका हैं। आशा फिल्मों के साथ ही अपनी निजी जिंदगी को लेकर भी काफी सुर्ख़ियों में रही हैं।
आज हम आपको इस लेख में आशा पारेख (Asha Parekh) के उस विवाद के बारे में बताएंगे जिसने खूब लाइमलाइट बटोरी थीं। आशा पारेख का एक समय में नाम हिट गर्ल पड़ गया था। फिल्मों के साथ ही उन्होंने कई टीवी सीरियलों को डायरेक्ट और प्रोड्यूस भी किया। मगर जब यह सफल अदाकारा सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष बनी तो उनकी जिंदगी में कई सारे विवाद की एंट्री भी हुई। आपको ये भी बता दें कि वर्ष 1998 में आशा पारेख (Asha Parekh) को सेंसर बोर्ड का अध्यक्ष चुना गया था। वह पहली महिला अध्यक्ष थी।
आशा पारेख (Asha Parekh) ने अध्यक्ष का पद लेते ही कई एक से बढ़कर एक बड़े फैसले लेना शुरू कर दिए। उन्होंने इस दौरान कई फिल्मों पर खुलकर कैंची चलाई। इसी वजह से उन्हें आलोचना का शिकार भी होना पड़ा। आशा पारेख की टीम ने महेश भट्ट की फिल्म ‘जख्म’ के कई सीन काट दिए। इस बात से महेश भट्ट काफी नाराज़ हुए और उन्होंने आशा पारेख के ऑफिस के बाहर कई अश्लील नारे लगाए थे। उन्होंने इस दौरान खूब गन्दी-गन्दी गलियां भी दी। हालांकि इसके बाद महेश भट्ट सेंसर बोर्ड के फैसले से सहमत भी हुए थे। आपको अंत में बताते चलें कि बाद में आशा पारेख को सिने एंड टीवी आर्टिस्ट असोसिएशन का प्रेजीडेंट भी चुना गया था। आशा पारेख ताउम्र अविवाहित रही हैं।