अलग-अलग बैंकों में FD कराना ज्यादा बेहतर, ज्यादा ब्याज के साथ मिलेंगे ये कई फायदे

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Web Desk

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) लगातर तीन बार रेपो रेट में बढ़ोतरी कर चुका है। इसके बाद कई बैंक भी एफडी (FD) पर ब्याज दर बढ़ा रही है। इससे लोगों को एफडी (FD) में निवेश करने में फायदा नजर आ रहा है। अब अगर आप भी FD करवाने की तैयारी कर रहे हैं तो हम आपको कुछ जरूरी जानकारी दे रहे हैं। इससे आपको ज्यादा से ज्यादा ब्याज मिलेगा और साथ में कई फायदे भी होंगे।


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अलग-अलग बैंकों में करवाएं FD

बता दें कि अलग-अलग बैंक में FD करवाने से रिस्क थोड़ा कम रहता है। वैसे FD में भी ब्याज दरें घटती-बढ़ती रहती हैं। ऐसे में अलग-अलग अवधि में FD करवाकर ज्यादा फायदा लिया जा सकता है। मान लीजिए आपके पास 4 लाख रुपये है तो इस 4 लाख को 1-1 लाख की चार अलग-अलग डिपॉजिट में बांट दीजिए। अब इन्हें 1, 2, 3 और 4 साल के लिए फिक्स कर दीजिए। जब 1 साल वाली FD मैच्योर हो जाए तो 4 वाली FD में दोबारा निवेश कर दीजिए।

ऐसा करने से 2 फायदे होंगे। पहला आपो समय पर कैश मिलता रहेगा, क्योंकि 1 साल के बाद आपकी FD मैच्योर होती रहेगी। वहीं अलग-अलग बैंक में FD की ब्याज दर एक जैसी नहीं होती है। किसी बैंक में ज्यादा ब्याज दर होती है, जिससे रिटर्न ज्यादा मिलता है।

टाइम मैनेजमेंट के साथ करें FD

FD कराते समय अवधि का ध्यान जरूर रखें। मान लीजिए आपने शुरू में लंबी अवधि के लिए निवेश कर दिया और आपको बीच में ही FD तोड़नी पड़ गई तो कम रिटर्न मिलेगा। उदाहरण के लिए, अगर आपका बैंक 1 साल की FD पर 5 फीसदी रिटर्न दे रहा है और 5 साल की FD पर 7 फीसदी रिटर्न दे रहा है।  अब ऐसे में आपको लगता है कि आपको 5 साल के पहले पैसे की जरूरत पड़ेगी तो लम्बी अवधि के लिए पैसा निवेश न करें। अगर आपने 5 साल की FD करवाने के बाद उसे 1 साल बाद तोड़ दिया तो आपको ब्याज उतना ही मिलेगा जितना 1 साल की FD पर मिलता है। इसके साथ ही पेनल्टी लगाई जा सकती है।

टैक्स भी देना पड़ता है

नियमों के अनुसार, FD पर जो ब्याज मिलता है उसपर टैक्स देना होता है। अगर 1 साल में ब्याज 10000 रुपये से ज्यादा होता है तो यह ब्याज टैक्स काटने के बाद ही मिलेगा। वहीं अगर आपकी कमाई सालाना 5 लाख से ज्यादा है तो आपको इस कमाई पर ज्यादा टैक्स देना होगा। अगर इसमें टीडीएस नहीं काटा गया है, फिर भी आपको बॉन्ड्स और एफडी से होने वाली अपनी आमदनी अपने टैक्स रिटर्न में दिखानी चाहिए।

टैक्स आपको हार साल देना होगा। वहीं अगर आपको आमदनी उस आमदनी से कम है, जिस पर टैक्स नहीं लगता तो आप रिटर्न जमा करके उस रकम का रिफंड ले सकते हैं जो टीडीएस के तौर पर काटी जा चुकी है।

एफडी नहीं है पूरी तरह सुरक्षित, ऐसे समझें

FD भी दो तरह की होती हैं। बैंक एफडी और कॉरपोरेट एफडी। कॉरपोरेट डिपॉजिट असुरक्षित लोन की तरह होते हैं। इनमें कोई गारंटी नहीं होती है। डिपॉजिट इंश्योरेंस ऐंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) की तरफ से बैंक ग्राहकों के 5 लाख रुपये तक की गारंटी लेता है। इस नियम को हर बैंक ब्रांच को मानना पड़ता है। अब ऐसे में अगर आपके पास 20 लाख रुपये हैं तो आप इस पैसे को अलग-अलग बैंक में अलग-अलग जगह निवेश कर दें तो अच्छा रहेगा।

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